۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024
शौकत भारती

हौज़ा / जंगे सिफफीन में हजरत अली की तरफ से लड़ने वाले हजरत अम्मार को जब माविया की फौज ने शहीद कर दिया तो हदीसे अम्मार से हर किसी पर साबित हो गया की माविया ही जहन्नम की तरफ बुलाने वाले इस्लाम के बागी गिरोह का सरदार है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी !

लेखकः शौकत भारती
तारीखे इस्लाम का मुतालिआ करने वाला हर फर्द जनता है की रसूल अल्लाह ने बेपनाह कुर्बानियां दे कर दुश्मनाने इस्लाम अबूसूफियान व हिंदा और उसके खानदान की कमर तोड़ी दी थी और ये लोग जान बचाने के लिए कलमा पढ़ कर के इस्लाम में दाखिल हुए थे,क्यों की इन लोगों ने दिल से इस्लाम कुबूल नहीं किया था, इसी वजह से पैगंबर ने इन्हें कभी पक्का और सच्चा मुसलमान नहीं कहा और आखरी वक्त तक इन्हें तुलका और मुअल्लीफतुल कुलूब ही कहते रहे,रसूल अल्लाह जानते थे की ये लोग कभी नहीं सुधरेंगे बल्कि इतना बिगड़ जायेंगे की जहन्नम की तरफ बुलाने वाले इस्लाम के बागी गिरोह के सरदार हो कर लोगों को जहन्नम की तरफ बुलायेंगे,ये लोग जन्नत की तरफ बुलाने वाले हजरत अम्मार यासिर को भी शहीद कर देंगे। हजरत अम्मार की शहादत से सबको पता भी चल जायेगा की माविया का गिरोह जहन्नम की तरफ बुलाने वाला इस्लाम का बागी गिरोह है।

जंगे सिफफीन में हजरत अली की तरफ से लड़ने वाले हजरत अम्मार को जब माविया की फौज ने शहीद कर दिया तो हदीसे अम्मार से हर किसी पर साबित हो गया की माविया ही जहन्नम की तरफ बुलाने वाले इस्लाम के बागी गिरोह का सरदार है। आखिर वो कमज़ोर और जलील खानदाने अबू सूफियान और हिन्दा जिसे रसूल अल्लाह ने पूरी तरह से मुस्लिम ही नही माना था वो पूरा खानदान और उसका बेटा माविया आखिर कैसे इतना पावर फुल हो गया की सिफफीन में हजरत अली के मुकाबले में आ गया उसने हजरत अली से जंग की हजरत अली को मस्जिदों से गालियां देता और दिलवाता रहा,हजरत अली की हुकूमत में लागतार फित्ना और फसाद फैलाता रहा हजरत अली के बाद इमाम हसन के खिलाफ आ गया और उनकी खिलाफत में भी कत्ल व गारत गरी करता रहा आखिर कार इमाम हसन ने कत्ल व गारत गरी रोकने के लिए कुछ मजबूत शर्तों के साथ उसे खिलाफत दे दी खिलाफत  ले लेने के बाद भी उसने सुलह की शर्तों पर अमल नहीं किया और सुलह हसन की आखरी शर्त को भी तोड़ कर अपने बदकीरदार बेटे यजीद को उम्मत पर मुसललत कर दिया।

उसी मावियां के बेटे यजीद ने ही अपनी फौज के जरिए खानदाने रसूल को बे जुर्म व खता कर्बला में घेर कर भूखा प्यासा शहीद करवा डाला लाशों पर घोड़े दौड़वाए सरो को काट कर नेजों पर बुलंद करवाया और खानदाने रसूल की औरतों बच्चों और बीमार इमाम को कैदी बना कर अपने दरबार में बुलवा लिया और उसने नवासए रसूल के कटे हुए सर पर छड़ी से वार करते हुए कहा की काश बद्र और उहद में मारे जाने वाले मेरे खानदान वाले आज जिंदा होते तो बहुत खुश होते,इतना ही नहीं उसने ये भी कहा, न कोई वही आती थी और न कोई रसूल आया था बल्कि मोहम्मद ने हुकूमत हासिल करने के लिए एक ढोंग रचा था। ये है यजीद का बयान जिस से उसके खानदान का इस्लाम सबको समझ में आ जाए गा,यजीद ने 61हिजरी में कर्बला में जुल्म के पहाड़ तुडवाए 62में  मदीना ताराज करवाया,63 में मक्का तराज करवाया और 64 में जहन्नम चला गया। सबको समझ लेना चाहिए की क्यों रसूल अल्लाह ने इस खानदान को तुलका और मोअलिफतुल कुलूब कहा था।

आखिर जिन्हे रसूल अल्लाह ने तुलका और मोअलिफतुल कुलूब बता दिया था इस खानदान को किन किन लोगों ने पावर फुल किया और क्यों मुसलमानों पर मुसल्लत कर दिया।
अफसोस है जिस खानदाने अबुसूफियान को रसूल अल्लाह तुलका और मोअललिफातुल कुलूब बता कर गए थे उन्हें बादे रसूल, रसूल अल्लाह के साथियों ने जान बूझ कर पावर फुल किया और बेशर्म मुल्ला उन इस्लाम दुश्मन मोअललिफतुल कुलूब,तुलका और जहन्नम की तरफ बुलाने वाले इस्लाम के बागियों को सहाबी बता कर आज भी उनकी दिफा कर रहे हैं।


तुलका: (आज़ाद करदा) यानी वो लोग जिनका जुर्म इतना बड़ा था और जो कत्ल करने लायक थे मगर उन्हें कत्ल न कर के आज़ाद कर दिया गया।
मोअलिफातुल कुलूब:(टेढ़े दिल वाले) यानी जिनके दिल पूरी तरह इस्लाम की तरफ नहीं थे यानी जुबान पर कलमा था मतलब आधे मुशरिक।

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